वह भी क्या समय निराला था ,
तकलीफ ने डेरा डाला था।
जब ठोकर उठा पटकती थी ,
तब एक दूजे को सम्हाला था।
सब एक बिस्तर पर सोते थे,
संग खाते , हँसते, रोते थे।
अरमानों में सबके अम्बर था ,
फिर पंख भले ही छोटे थे।
गिरने न किसी को कभी दिया ,
सुख साथ जिया , ग़म संग पिया।
हिम्मत से अपनी आजिज़ आ ,
फिर एक दिन दुःख भी निकल लिया।
सावन आये और चले गए ,
प्रेमी भी मिले और छूट गए।
कुछ यार तभी भी संग रहे,
जब दिल के भी नाते टूट गए।
जो बदतर के भी गवाह रहे ,
और बेहतर के भी साखी हैं।
उनसे संकट में साहस है ,
और दर्द में हिम्मत बाकी है।
हम साथ रहें या अलग रहें ,
हम पास रहें या दूर रहें।
रोटी खाएं या बिरयानी,
मुफलिसी सहें , मशहूर रहें।
तुम हो तो न दिल भारी होगा ,
तुम हो तो न दर्द सताएगा।
तुम जहाँ रहो मिलते रहना ,
बाकी सब देखा जाएगा।
Yaaro Yaari aisi Hi Hoti hai👬👬
ReplyDeleteShandaar
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