Tuesday 20 December 2011

ख़ाली रहना क्या इतना मुश्किल है ?


 अजीब सी समस्या है , पर सबकी है. सब इतने व्यस्त लाइफ स्टाइल के आदी हो गए हैं की कुछ समय अकेले या ख़ाली रहने से घबराहट होने लगी है. बस या ट्रेन का 4 -5  घंटे का सफ़र अकेले करना है. आप सबसे पहले क्या करेंगे . १०० में से ९० लोग घबरा उठेंगे . सफ़र की तैयारियों में समय काटने की तैयारियाँ सबसे ज्यादा जोर शोर से की जाएँगी . पत्रिकाएं , नॉवेल ख़रीदे जायेंगे या लैपटॉप में कोई अच्छी फिल्म सेव की जाएगी. मैंने सफ़र करते कई लोगों को देखा है, बहुत परेशान होते हैं, फिर नॉवेल खोलेंगे , फिर बंद करेंगे , हेडफोन कान में घुसायेंगे , फिर निकालेंगे , लैपटॉप खोलेंगे , बंद करेंगे कुछ तो बेचारे कपड़े तक उलट पुलट कर डालेंगे. सब करके देख लिया कमबख्त वक़्त ही नहीं कट रहा .
                 यही हम सबके साथ हो रहा है. अकेले रहने वाले की मुश्किलें और ज्यादा.काम ख़तम, अब घर में अकेले. न आदमी न आदमजात . क्या करें , TV देख लिया , पार्क में घूम आये. दोस्तों, रिश्तेदारों , प्रेमी , प्रेमिका सबको फोन कर लिया , सबकी गालियाँ सुन लीं . ऐसे आदमी को फोन करने पर लोग सुनाते ज्यादा है , जानते हैं बेचारा बुरा मान ही नहीं सकता . कल फिर फोन करेगा अपनी रामायण सुनाने के लिए.
               सज्जन बेचारा बहुत परेशान . समय ही नहीं कटता . ख़ाली बैठने के नाम पर बेचारे की नानी मर जाती है.  ऐसा नहीं कि महाशय बहुत मेहनती हैं. बॉस इनका हमेशा नाराज़ रहता है इनसे . पर इन्हें कोई न कोई चाहिए साथ देने वाला . ऑफिस में पड़ोस में बैठने वाले का जीना हराम कर देंगे . बस ट्रेन इत्यादि में सहयात्री का खून पियेंगे .दोस्तों को कॉल कर करके मार डालेंगे , क्या करें - ख़ालीपन खाए जाता है.
        एकांत में खुद के साथ रहने से इतनी चिढ क्यों होने लगी है हमको ? बहुत सी चीजें की जा सकती हैं , बहुत कुछ खोजा जा सकता है . अपने को सोचो , अपनी रुचियों को विकसित करो. कब आखिरी बार तुमने खाना बनाया है ? आखिरी बार कब तुमने कुछ लिखा ? कब आखिरी बार तुमने कुछ ख़रीदा था ? आखिरी बार कब किसी म्यूजियम  या सर्कस गए थे ? अकेले और अपनी पसंद की फिल्म कबसे नहीं देखी ? आखिरी बार कब कोई mathematics की समस्या निपटाई है , कबसे किसी की हंसी नहीं उड़ाई , यों अपनी हंसी उडवाते रहते हो जब- तब .
                                           अकेलापन इतना बुरा नहीं. खुद का साथ इतना बोर करने वाला नहीं है जितना तुम सोचते हो , तुम उनके साथ 'time spend ' करना चाहते हो जो तुम्हारे साथ ' Time  Pass ' करने की सोचते हैं. तभी जब उनकी मर्जी होती है तुमसे मजे लेते हैं और जब तुम उनसे तब बात करते हो जब उनका मन न हो , तो वे झल्ला पड़ते हैं. सोने पर सुहागा यह की तुम्हें गुस्सा नहीं आता बल्कि तुम अफ़सोस करते हो की मैंने फ़लाने को डिस्टर्ब कर दिया. पर जब वो तुम्हें डिस्टर्ब करता है तो तुम नाराज नहीं होते , खींसें निपोरते हो और उसके साथ लग जाते हो यह भूलकर की उसने पिछली बार तुमसे कैसा सुलूक किया था. खुद से दूर होकर , अपना यथार्थ , अपनी originality खोकर तुम क्या हो गए हो ? समय बिताने और समय काटने में फर्क है. इस फर्क को समझो, महसूस करो. समय तुम काटना चाहते थे पर लोगों ने तुम्हें समय काटने का जरिया बना लिया धीरे - धीरे. कई तो तुम्हें देखकर कहते भी होंगे - "वो देखो टाइमपास आ रहा है." ये हालत दयनीय है. कुछ आत्मसम्मान रखो , निर्भर ही रहना है तो आत्मनिर्भर रहो , अपने सबसे अच्छे और सच्चे साथी तुम स्वयं हो.

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