सब खुशियाँ तुम्हें मुबारक हों ,
तुम सारी अकेले खर्च करो ,
हम साथ नहीं , कुछ बात नहीं
हर जगह ज़रूरी साथ नहीं
पर जब ग़म ज्यादा गहराए ,
तब याद मुझे कर लेना तुम !
रोजाना ही कुछ मिलते हैं,
रोजाना ही गुल खिलते हैं.
वो बहुत निराले लगते हैं,
भले साथ तनिक ही चलते हैं.
जब गुलशन सूना हो जाये,
गुल और कहीं जब मुस्काए,
तन्हाई जब तुमको खाए ,
तब याद मुझे कर लेना तुम !!
जब गरज़ पड़ी तब याद किया,
हमने हरदम ही साथ दिया,
तुमने भी शुक्रिया नज़र किया,
पर लम्हे में बेशुकर किया.
हम तुमसे वजह तो तब पूछे ,
जब रूह को हमारी गवारा हो.
हम भी हम हैं , हमें मालूम है ,
तुम ख़ुश आबाद दोबारा हो.
जब वक़्त गुज़र यह जायेगा,
अपना ही जब ठुकराएगा ,
या मतलब कोई आयेगा,
तब याद तुम्हें आएंगे हम !!!
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