Saturday 3 December 2011

ईर्ष्यालु

नैनीताल विहार का बना कार्यक्रम नेक ,
पिकनिक पर बारह युवक साथ में कन्या एक .

लड़की को इम्प्रेस करने को क्या-क्या करतब दिखलाते हैं ,
खाई में कभी उतरते हैं , पेड़ पर कभी चढ़ जाते हैं .
Mr. A चेन स्मोकर हैं , सिगरेट के छल्ले उड़ा रहे ,
भाई B को ये पसंद नहीं कैंसर के कारण बता रहे .



ये कहते फिजूलखर्ची है , वो कहते हैं स्टाइल है ,
दोनों का परम अभीष्ट एक , जो कन्या की smile है .
Mr C बॉडी बिल्डर हैं , बोले सेहत ही खज़ाना है .
दुबले D  भाई कहते हैं , अब स्लिम बॉडी का ज़माना है .

ऐसे ही वे पर दोषों पर निज गुण को श्रेष्ठ बताते हैं ,
लड़की जिसको लाइन दे दे , सब उसके विरुद्ध हो जाते हैं .
चलते - चलते सबने देखा एक व्यक्ति बन्दर पकड़ रहा ,
बन्दर कुछ न कर पाते हैं ऐसे फंदे में जकड़ रहा .
फंदे से मुक्त पुनः करके प्राणी को ड्रम में डाल रहा .
ड्रम पर कोई ढक्कन न देख सबने ही उसको मूर्ख कहा .

इक सज्जन बोला बेवकूफ ! कुछ तेरे हाथ न आएगा ,
ये jumping expert होता है पल में बाहर आ जायेगा .
वह सादर बोला खुद देखें पंद्रह को पकड़ चूका हूँ मैं.
एक भी नहीं बाहर आया नहीं यूँ ही अकड़ रहा हूँ मैं.

आश्चर्यचकित से होकर के सबने इसका कारण पूछा.
वह बोला असली मूर्ख तुम्हीं जो इतना तुमको न सूझा.
यह सच है कोई भी बन्दर यह सुगम कार्य कर सकता है.
पर हम इंसानों के जैसा यह भी ईर्ष्यालु होता है.

जब कुछ बन्दर प्रयत्न करके ड्रम के मुंह तक आ पते हैं,
तब उनके ईर्ष्यालु भाई उन्हें खींच के नीचे लाते हैं.
जो मानव अवगुण होते हैं वह इन सबके भी अन्दर हैं
हम कहने को ही मनुष्य हैं वस्तुतः हम सभी बन्दर हैं.

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