Sunday 27 May 2012

नीचता का संक्रमण



एक सख्त टीचर कर देता है बच्चे को अलग किताबों से ,
और एक अकड़ू बॉस बनाता है एक सरल कर्मचारी को बहानेबाज़ । 
टैक्स चोरी होती है टैक्स अधिकारी की सेवा के लिए ,
और रिश्वतखोर पुलिस बनाती है एक बेईमान समाज ।





एक चतुर चालाक प्रेमिका एक सीधे लड़के को कर देती है -
उससे भी ज्यादा चालाक ,
झूठा और मक्कार ,
लफंगा , बदमाश और धोखेबाज़ 
और यही करता है एक धोखेबाज़ पति या प्रेमी , जो जन्मता है -
एक लालची और मतलबी युवती ,
या एक चरित्रहीन  पत्नी ,
या एक हृदयहीन मूर्ति .
                                  




दुनिया बदली है लोग बदले हैं और सबसे ज्यादा बदली है सोच ।
"जैसे को तैसा " की सोच ने दैत्य बनाया है बहुत से मनुष्यों को, "दुष्ट के साथ दुष्ट" बनते हैं वो पर अंततः दुष्टता बस जाती है स्वभाव में उनके ,
और शुरू होता है परिवर्तन उनसे जुड़े हर मनुष्य का , दैत्य में ।





अव्वल दर्जे का परिवर्तक है यह तुम्हारा नीच स्वभाव ,
जो पलट देता है कम से कम एक व्यक्ति का चरित्र 
कायापलट कर देता है उसका जिसपर तुम आजमाते हो इसको ,
और फिर यह श्रंखला चलती है निरंतर , कायाकल्प जारी रहता है आगे औरों का भी  ।


निष्कर्ष पूरी दुनिया होती जा रही है - 
तेज़ , चालाक , हरामखोर...
बहानेबाज़ , झूठी और चोर...
मतलबी लुटेरी और कमीनी ...

सोचता हूँ कितना विचित्र और हास्यास्पद है यह -
सभी बेईमान हैं , और सबको शिकायत है कि "बड़ी बेईमानी है "

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